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स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
भारत सरकार

सफदरजंग अस्पताल

सफदरजंग अस्‍पताल
 
सफदरजंग अस्‍पताल की स्‍थापना 1942 में द्वितीय विश्‍व युद्ध के दौरान मित्र सेनाओं के लिए एक बेस अस्‍पताल के रुप में हुई थी। वर्ष 1954 में इसे भारत सरकार द्वारा स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के अधीन लाया गया था। पिछले कुछ वर्षों में यह अस्‍पताल, विश्‍व के इस भाग में, सबसे बड़े, टर्शीयरी लेवल के बहुउद्देश्‍यीय स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थान के रूप में विकसित हुआ है। यह अस्‍पताल मेडिकल देखभाल आवश्‍यकताओं एवं उन्‍नयनों के अनुरूप समय-समय पर अपनी सभी नैदानिक और उपचारात्‍मक सुविधाओं का उन्‍नयन करता है। अस्‍पताल, जिसकी शुरूआत मात्र 204 बेडों से हुई थी,  में अब अधिकारिक रूप से 1531 बेड हैं। अस्‍पताल न केवल दिल्‍ली और पड़ोसी राज्‍यों के लाखों लोगों को, अपितु पड़ोसी देशों के लोगों को भी चिकित्‍सा देखभाल की सुविधाएं प्रदान कर रहा है।
 
यह अस्‍पताल वर्ष 1962 से स्‍नातकोत्‍तर छात्रों के लिए प्रशिक्षण एवं शिक्षण का केन्‍द्र रहा है। वर्ष 1973 में युनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस (यूसीएमएस), जिसके साथ यह अस्‍पताल वर्ष 1990 तक इससे जुड़ा रहा, के क्‍लीनिकल संकाय से अस्‍पताल संकाय का गठन किया गया । यहॉं तक कि कॉलेज (यूसीएमएस) के गुरू तेग बहादुर अस्‍पताल शहदरा, दिल्‍ली में स्‍थानांतरित होने के बाद भी, यह अस्‍पताल अब भी विभिन्‍न स्‍पैशियलिटी एवं सुपर स्‍पैशियलिटी में स्‍नातकोत्‍तर प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। यह अस्‍पताल देश एवं विदेश के विभिन्‍न संस्‍थानों के प्रशिक्षुओं के लिए प्रशिक्षण का केंद्र रहा है। शिक्षा वर्ष 2008 के बाद सभी स्‍नातकोत्‍तर सीटों को गुरू गोविन्‍द सिंह इन्‍द्रप्रस्‍थ विश्‍वविद्यालय के साथ संबद्ध कर दिया गया है।
 
वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज
 
वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज (वीएमसीसी) की स्‍थापना भारत सरकार द्वारा नवंबर, 2001 में सफदरजंग अस्‍पताल में की गई थी। इसका उद्घाटन तत्‍कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिनांक 17 दिसंबर, 2001 को श्री एल.के.आडवाणी, श्री सी.पी. ठाकुर तथा स्‍थापक प्रधानाचार्य डॉ. जगदीश प्रसाद की उपस्थिति में किया गया। दिनांक 20 नवंबर, 2007 को स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. अंबुमनी रामदास की उपस्थिति में माननीय उपराष्‍ट्रपति श्री एम. हामीद अंसारी द्वारा कॉलेज का भवन को राष्‍ट्र को समर्पित किया गया। फरवरी 2002 में एमबीबीएस के छात्रों के पहले बैच का दाख़ि‍ला हुआ। वीएमसीसी की स्‍थापना के पहले भी क्‍लीनिकल विषयों में स्‍नातकोत्‍तर पाठ्यक्रम (एम डी/एम एस) की पढ़ाई सफदरजंग अस्‍पताल में हो रही थी। प्री और पैरा क्‍लीनिकल विषयों में (एमडी/एमएस) पाठ्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2011 में हुई। समय के साथ-साथ एमडी/एमएस की सीटों की संख्‍या में वृद्धि होती गई। कॉलेज में सुपर स्‍पेशलाइज़ेशन (एचसीएच/डीएम) भी कराई जा रही है।
 
वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज गुरू गोविंद सिंह इन्‍द्रप्रस्‍थ विश्‍वविद्यालय, नई दिल्‍ली से संबद्ध है। एक दशक के भीतर ही वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज ने खुद को भारत के प्रतिष्ठित मेडिकल संस्‍थान के रूप में स्‍थापित किया है। (इंडिया टुडे एस्‍पायर अगस्‍त, 2013 के अनुसार यह एक चिकित्‍सा चमत्‍कार है।)
सफदरजंग अस्‍पताल स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय के अंतर्गत सबसे बड़ा अस्‍पताल है और स्‍वतंत्रता के पहले से ही यह समाज के सभी वर्गों के लोगों को प्रदान रही की जा रही सेवाओं की गुणवत्‍ता के लिए जाना जाता है। वर्तमान में, इसमें बच्‍चों के लिए पालनों(बैसीनेट) सहित 1550 से अधिक बेड हैं।  इसमें सलाना 10 लाख से अधिक मरीज ओपीडी में आते हैं । वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज सफदरजंग अस्‍पताल के सहयोग से जॉंच और रोगियों  की देख-भाल के लिए सभी प्रकार की आधुनिक सुविधाएं उपलब्‍ध कराता है। इस मेडिकल कॉलेज एवं अस्‍पताल में विभिन्‍न स्‍पैशियलिटी एवं सुपर स्‍पैशियलिटी विभाग हैं, जैसे कि - कार्डिएक सर्जरी विभाग (सीटीवीएस), कार्डियोलॉजी, न्‍यूरोलॉजी, यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, रिस्‍पाइरेटरी चिकित्‍सा, बर्न्‍स और प्‍लास्टिक सर्जरी, पेडियाट्रिक सर्जरी, गैसट्रोएन्‍ट्रोलॉजी, आदि। इसमें एन्जियोग्राफी, एन्जियोप्‍लास्‍टी, वाल्‍व प्रतिस्‍थापन तथा रिपेयर, कोरोनरी आर्टेरी बाईपास ग्राफ्टिंग, लिथोट्रीपसी, निद्रा प्रयोगशाला, एंडोस्‍कोपी, आथ्रोस्‍कोपी, विडियो ईईजी, डायलिसिस, स्‍पाईरल सीटी, एमआरआई, ऑटोमेटेड ब्‍लड टेस्‍ट एनेलाइज़र्स, इत्‍यादि की आधुनिक सुविधाएं उपलब्‍ध हैं।
 
प्रधानाचार्य का कार्यालय कॉलेज भवन के भूतल पर स्थित है। प्रवेश, परीक्षा, फीस, प्रमाण-पत्र, डिग्री, हॉस्‍टल, छात्रवृत्ति, आदि से संबंधित सभी मामलों के लिए भी भूतल पर स्थित अकादमिक अनुभाग से संपर्क किया जा सकता है।
 
खेल चोट केंद्र(एसआईसी)
 
एक ही छत के नीचे खेल और जोड़ों के विकारों के लिए विशेषीकृत उपचार हेतु व्‍यापक शल्‍य चिकित्‍सा, पुनर्वास और डायग्‍नोस्टिक सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्‍य से सफदरजंग अस्‍पताल में एक आधुनिक खेल चोट केंद्र (एसआईसी) की स्‍थापना की गई थी। ऐसा माना जा रहा था कि खेल चोट केंद्र की स्‍थापना से, अक्‍तूबर, 2010 में नई दिल्‍ली में होने वाले राष्‍ट्रमंडल खेलों के प्रतिभा‍गी भी इसका लाभ उठा सकेंगे । इसलिए, परियोजना की निरंतर मॉनिटरिंग करते हुए दिनांक 26.09.2010 को माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा इस केंद्र का उद्घाटन किया गया तथा राष्‍ट्रमंडल खेल, 2010 की शुरूआत से पहले इसने अपने क्रियाकलाप प्रारंभ कर दिये । यह दक्षिण-पूर्व एशिया में खिलाडि़यों तथा महिलाओं की विशेष आवश्‍यताओं के लिए सबसे बड़े चिकित्‍सा संगठनों में से एक है। केंद्र का यह भी उद्देश्‍य है कि यह केंद्र यथासमय स्‍पोर्टस चिकित्‍सा के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्‍त कर ले।
 
पहले, आर्थ्रोस्‍कोपी तथा खेल चोट और जोड़ों के विकारों के लिए सुविधाएं सफदरजंग अस्‍पताल में केंद्रीय आर्थोपेडिक्‍स संस्‍थान के तहत एक इकाई के रूप में उपलब्‍ध कराई जा रही थी, जो देश-भर के उन खि‍लाड़‍ियों तथा अर्ध-सैनिक बलों की आवश्‍यकताओं को पूरा करती थी, जिन्‍हें स्‍पोर्टस एवं जोड़ों से संबंधित चोटों के विशेष उपचार के लिए इस इकाई में भेजा जा रहा था। यह इकाई हर साल लगभग तीन हजार मामले देखती थी और हर साल लगभग पॉंच सौ आर्थ्रोस्‍कोपी करती थी। वर्ष 2008 के दौरान, देश में लंबे समय से महसूस की जा रही आवश्‍यकताओं पर विचार करते हुए, स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय, भारत सरकार ने इन सुविधाओं को अपग्रेड करके सफदरजंग अस्‍पताल में एक अलग आधुनिक खेल चोट केंद्र की स्‍थापना करने का निर्णय लिया, क्‍योंकि खेल अधिकाधिक लोकप्रिय तथा प्रतिस्‍पर्धात्‍मक होते जा रहे हैं और इसीलिए खेल चोट तथा जोड़ों के विकारों की प्रकृति भी जटिल हो रही है,जिनके लिए विशेष कौशल और नवीनतम तकनीकों/विशेषज्ञता की आवश्‍यकता होती है ।
 
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अंतिम नवीनीकृत 28/12/2021